Tuesday, January 31, 2017

एक नई पहल-


पांडिचेरी जाने से एक दिन पहले डॉ. किरण बेदी द्वारा यह सुझाव मेरे बहुत ही काम आया -साधु संतो की शहर , स्वछ & हरियाली से भरपूर समुद्र के नजदीक होने के कारन -सुबह -शाम ज्यादा से ज्यादा घूमने की कोशिश करना. 

सफर की शुरुवात सही समय पर हवाई अड्डा (एयरपोर्ट) पर पहुच कर एक साथ प्रवेश ही हमारी एकजुटता & अनुशाशन की शुरुवात हुई. 

डेल्ही से चेन्नई की फ्लाइट 6 बजे प्रातः प्रारंभ हुई , सुबह की ताज़गी , नई स्फूर्ति  के साथ अधिकांश सदस्यो की यह पहली हवाई यात्रा, नई जगह जाने की ख़ुशी एवम ललक देखने लायक थी. दो ग्रुप में बाट कर अलग अलग फ्लाइट से यात्रा की शुरुवात हुई , हमारी फ्लाइट सही समय पर चेन्नई पहुच गया , दूसरी फ्लाइट ३ घंटे लेट होने के कारन एयरपोर्ट हमारे लिए  पहली यादे क़ैद  (फोटो सूट) करने का कारन बना.
दो बसों द्वारा गाइड के सहयोग से गेस्ट हाउस पहुच , फ्रेश होने के बाद सफर की शुरुवात हुई.

सफर की शुरुवात औरोबिन्दो आश्रम & गणेश जी की मंदिर जाने का अवसर मिला. जहाँ एक सुखद शांत, फूलो की महक, एवम आश्रम के बारे में जानने का अवसर मिला.

अगले दिन एक नई सफर की शुरुवात ऑरोविले मातृमंदिर ,आत्म योग के लिए प्रसिद्ध  जाने की सौभ्याय मिला जो बहुत ही योग कमर्ठ  लोगो को ही मिलता है  , वहां की बनावट  (स्ट्रक्चर) एवम इतिहास की एक अलग ही गाथा जानने का अवसर मिला, ११२ देशो की मिटटी के सहयोग के बना यह अद्वितीय मंदिर, १२ योग केंद्र एवं १२ पार्को से बना ये  मंदिर अपनी बनावट & योग साधना के लिए दुनिया मे मशहूर है ,  २ मिनट की मौन एक अलग आंतरिक सकून के साथ समाप्त हुई. सुखद यादो को समेटे  ( फोटोग्राफी वर्जित क्षेत्र ) वहां से आगे की सफर की और निकल पड़ा.


शाम को   -चुनंबर बीच, समुद्र के किनारे एक बोट द्वारा जाने का अवसर मिला , ऐसे तो ये मेरा समुद्र जाने का दूसरा अनुभव था लेकिन बोट से समुद्र में जाने का पहला अनुभव था , समुद्र के किनारे जाकर सब ने लहरो के साथ अलग अलग तरीको से अपनी ख़ुशी को कैमरों में कैद कर हमेशा के लिया यादो को समेटने का सुनहरा अवसर को नहीं गवाया.
बीच के किनारे डिनर के साथ नाच एवम संगीत का सुखद अनुभव लिया.


 तीसरे दिन -
सबसे पहले डेनिश फोर्ट (Danish Fort ) समुद्र के किनारे बना किला की शैर , समुद्र की किनारो की सुंदरता को निहारते एवम कैमरों में कैद करते अगली पड़ाव,  नटराज मंदिर (शिव जी की नटराज रूपी मंदिर ), चिदंबरम  -साउथ इंडिया की मंदिरो की भब्यता , अलग -अलग मंदिरो की पहचान एवम सुन्दरता को निहारते भगवन की पूजा के साथ अलग ही दुनिया की सुखद अनुभूति प्राप्त हुईं.




२६ जनवरी को डॉक्टर बेदी जी द्वारा झंडा फहराने ,सलामी, झाकी , बच्चो द्वारा रंगारंग कार्यकम् का सीधा देखने का मौका मिल. हम सभी सदस्यो द्वारा एक ही ड्रेस होने के कारण अलग ही पहचान रही.
शाम के समय ४ बजे राजभवन जाने का कार्यकर्म फिक्स था, लेकिने वेस्ती ( लूँगी वस्त्रा) कपड़ा होने के कारण हमारी सद्स्य ३० मिनट लेट खुच्छ वरिस्ट सदस्यो को पसंद नही आया, मेरे द्वारा अस्वासन एवं मेडम द्वारा नये लुक की तारीफ से खुशी  का   ठिकाना नही था .




 शाम को राजभवन मे आयोजित पार्टी मे सरीक होने का मौका मिला- जहाँ पर श्री नारायण समी मुखायमंत्री एवं मंत्रिमंडल के अन्या सदस्यो से मिलने का मौका मिला. 
         
2 घंटे राज भवन के बारे मे जानकारी/ देखने का मौका मिला आशा गुप्ता जी द्वारा एवं मेडम बेदी जी से वार्तालाप तथा उनके द्वारा हमे मार्गदर्शन मिला  एवं बहुत सारी फोटो को यादो के रूप मे हमेशा के लिए क़ैद कर लिया गया. राजभवन की सुखद यात्रा पहली बार किसी राजभवन को देखने का मौका  सभी सदस्यो के साथ मौका मिला.



शाम को फिर अपने सदस्यो के साथ समुद्र के लहरो को गहराई से देखने का मौका मिला .



अंतिम दिन महाबलीपुरम मे सी शोर मंदिर देखेने का मौका मिला जहाँ नाम के अनुसार समुद्र की लहरो के साथ मंदिर घूमने जहाँ पर एक मुस्लिम दोस्त द्वारा मंदिर के अंदर जाने की जीद मुझे भा गया , एसे लगा सही मे अनेकता मे एकता का हमारा देश महान है.
एक और मुस्लिम सदस्य द्वारा - दीनो मे पहली बार मंदिर मे बिना संकोच अंदर जाना, मंदिर के बारे मे जानने की ललक कबीले तारीफ थी.

'हम यहा घूमने आए है या मंदिर की दर्शन करने ' युवा सदस्यो द्वारा कहा गया, लेकिन सफ़र के अंत तक उन्हे भी दक्षिण - उतर के मंदिरो के बारे मे जानने तथा तुलना करने मे सहायक सिध्द साबित हुआ.

अपने डाइरेक्टर के अनुपस्थिति  के कारण टीम को नेतृत्व करने का मौका मिला.
मेरे द्वारा दिया गया सलाह- आपको जो करना है आप कर सकते बसरते आप के साथ मे भी शामिल रहूँगा, इससे टीम के साथ नज़दीक से रहकर नज़र तथा अनुशासन मे रहने मे सहयोगी साबित हुआ.

पॉंडिचेरी यात्रा  अपनी आंतरिक खुशियो एवं अपने बचपन को याद करते सभी सदस्यो के साथ भूल पाने वाली सफल एवं सुखद यात्रा रहा. समुद्र की लहरो से जीवन के उतार -चढ़ाव मे शांत रहने की कला को मह्शुश किया . दक्षिण इंडिया के मंदिरो के भाबयता -कलाकृति अलग -अलग  सस्कृतिक विरासत को नज़दीक से देखने का सुखद अनुभव  मिला .मत्रिमंदिर  अरोविल्ले  अपनी अनूठी बनावट एवं इतिहास तथा मिनट का मौन अपनी आंतरिक उर्जा का संचार का अनुभव मिला. जो केवल कर्मट योग साधक को ही प्राप्त होता है.

सभी सदस्यो के साथ  के साथ दीनो का सफ़र एक नये आयाम , जुड़ाव ,एक  अपनापन ,एक नई उर्जा भरने के लिए  काफ़ी लाफ़दयक रहा , जिससे  हमे अपने  -अपने कामो मे एक नई उर्जा के साथ नई दिशा देने मे काफ़ी लाफ़दयक होगी.
धनवाद अपने नेतृत्व  को जिसने हमे एक अनूठा एवं यादगार सफ़र का तोहफा दिया.


एक नई पहल

* नई साल मे सभी सदस्यो को नई तोहफा देना
* सबो  को एक नई कल्चर - दक्षिण के मंदिरो की भाबयता अनूठी विरासत  से अवगत कराने का
* एक उची ऊरान भरने का एक नई दिशा के साथ
*  सभी सदस्यो मे एकजुटता -एक दूसरे को समझने का मौका देना, आपसी समन्वय बड़ाने मे सहयोग देना
* अपनी  कामो मे एक नई उर्जा देना


----अनूप सिन्हा की क़लम से